क्या होती है डिप्रेशन की आखिरी स्टेज,क्यों कोई इंसान कर लेता है आत्महत्या..

बीते कुछ सालों में लोगों की मानसिक सेहत काफी बिगड़ गई है. मेंटल हेल्थ खराब होने के कई कारण है. अगर एक बार मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ गया तो व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार भी हो सकता है. अन्य बीमारियों की तरह ही डिप्रेशन की भी एक आखिरी स्टेज होती है. आइए इसके बारे में जानते हैं.

क्या होती है डिप्रेशन की आखिरी स्टेज,क्यों कोई इंसान कर लेता है आत्महत्या..

क्या होती है डिप्रेशन की आखिरी स्टेज

मेंटल हेल्थ को लेकर आज भी लोगों में जानकारी का काफी अभाव है. मानसिक सेहत बिगड़ने के बाद जब स्थिति खराब हो जाती है तब लोग डॉक्टरों से सलाह लेते हैं. कई मामलों में तो व्यक्ति की मानसिक सेहत सालों तक खराब रहती है, लेकिन उसको इसका पता नहीं चल पाता है. ऐसे में व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो जाता है. डिप्रेशन वैसे तो एक आम मानसिक समस्या है, लेकिन अगर समय पर इसका इलाज न हो ते ये जानलेवा तक बन सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अन्य बीमारियों की तरह ही डिप्रेशन की भी आखिरी स्टेज होती है.

डॉक्टरों का कहना है डिप्रेशन एक मेडिकल कंड़ीशन है. जब किसी व्यक्ति के दिमाग में सेरोटोनिन हार्मोन कम रिलीज होता है तो वह डिप्रेशन का शिकार हो जाता है. इस दौरान कि व्यवहार में बदलाव आने लगता है, वह किसी काम को बेहतर तरीके नहीं कर पाता है और हमेशा अकेला रहना चाहता है तो ये अच्छे संकेत नहीं है. ये लक्षण बताते हैं कि व्यक्ति की मेंटल हेल्थ खराब हो रही है.

क्या है डिप्रेशन की अंतिम स्टेज?

गाजियबाद के जिला अस्पताल में मनोरोग विशेषज्ञ डॉ एक.के कुमार बताते हैं कि किसी काम का ज्यादा स्ट्रेस, जीवन में कोई बड़ी दुखद घटना और किसी इंसान के जाने जैसी घटनाओं की वजह से व्यक्ति डिप्रेशन में आ सकता है. डिप्रेशन की शुरुआत में इंसान के व्यवहार में बदलाव आ जाता है. वह किसी काम को पहले की तरह नहीं करता है और इंसान का खुद से लगाव कम होने लगता है.

अगर इन परेशानियों पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो इंसान की मानसिक सेहत धीरे-धीरे बिगड़ने लगती है. वह डिप्रेशन की दूसरी और फिर अंतिम स्टेज में चला जाता है. इस दौरान उसके सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती है और खुद के एक्शन पर कंट्रोल नहीं रहता है. इस स्थिति में व्यक्ति कैसा भी कदम उठा सकता है. वह खुद को नुकसान भी पहुंचा सकता है. यहां तक की आत्महत्या तक भी कर सकता है.

डॉ कुमार बताते हैं कि दुनियाभर में आत्महत्या का बड़ा कारण डिप्रेशन ही है. इस स्थिति में व्यक्ति खुद को किसी लायक नहीं मानता है. सालों से मानसिक परेशानी से जूझने की वजह से वह जिंदगी को लेकर सारी उम्मीदे खो देता है और आत्महत्या कर लेता है.

आसान है इलाज

डॉ कुमार बताते हैं कि डिप्रेशन का इलाज आसान है, लेकिन जरूरी है कि लोग इसको एक बीमारी मानें और डॉक्टर से इलाज कराएं. सबसे पहले ये भी ध्यान रखना है कि डिप्रेशन के लक्षण दिखते ही पहले अपने दोस्तों या परिजनों से बात करें. मन में कोई परेशानी है तो उनसे साझा करें. इसके बाद डॉक्टरों से सलाह जरूरी लें. काउंसलिंग और दवाओं से इस समस्या का इलाज आसानी से हो जाता है.

 

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