बच्चों का दूध और बेबी फूड बनाने वाली कंपनियों की होगी जांच, हो सकती है बड़ी कार्रवाई

बच्चों का दूध और बेबी फूड बनाने वाली कंपनियों को अब सख्ती का सामना करना पड़ सकता है. सरकार ऐसी कंपनियों के प्रोडक्ट्स की जांच शुरू करने जा रही है. अगर किसी कंपनी के प्रोडक्ट्स में गाइडलाइन के मुताबिक कमी पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर सरकार किस तरह की तैयारी कर रही है.

बच्चों का दूध और बेबी फूड बनाने वाली कंपनियों की होगी जांच, हो सकती है बड़ी कार्रवाई

बच्चों का दूध बनाने वाली कंपनियों के प्रोडक्ट्स की जांच होगी. नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी.

नेस्ले विवाद के बाद सरकार की ओर से सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. अब सरकार के टॉप अधिकारयों ने संकेत दिए हैं कि जो कंपनियां बेबी फूड फार्मूला तैयार करती हैं, उन तमाम कंपनियों की जांच की जाएगी. साथ ही जो भी नियमों का सख्ती के साथ पालन ना करता हुआ पाया गया, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. मीडिया रिपोर्ट में एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि बाजार में उपलब्ध सभी कंपनियों के बेबी मिल्क पाउडर की जांच होगी. अगर किसी कंपनी की ओर से गाइडलाइन से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

क्यों उठाना पड़ रहा सख्त कदम

यह कदम बाजार में उपलब्ध बच्चों के दूध की क्वालिटी और कंपोजिशन से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए उठाया गया है. फूड सेफ्टी और स्टैंडर्ड (फूड्स फॉर इंफैंट न्यूट्रिशन) रेगुलेशन 2020 के अनुसार, कुछ स्टैंडर्ड को पूरा किया जाना चाहिए, जिसमें बेबी मिल्क पाउडर में लैक्टोज और ग्लूकोज के प्रतिशत पर लिमिटेशन हैं. सूत्रों ने कहा कि बच्चों के फूड में पोषण के लिए लैक्टोज और ग्लूकोज पॉलिमर जैसे कार्बोहाइड्रेट होंगे. सुक्रोज और/या फ्रुक्टोज को एड नहीं जाएगा, जब तक कि कार्बोहाइड्रेट सोर्स के रूप में आवश्यक न हो, और इनका योग कुल कार्बोहाइड्रेट के 20 फीसदी से ज्यादा न हो.

नेस्ले इंडिया की सफाई

हालाँकि, नेस्ले इंडिया द्वारा जारी एक बयान में संकेत दिया गया है कि कंपनी पहले से ही वैरिएंट के आधार पर 30 फीसदी तक कम चीनी का उपयोग कर रही है. नेस्ले इंडिया ने एडेड शुगर को कम करने की अपनी कमिटमेंट पर जोर देते हुए कहा कि चीनी में कमी नेस्ले इंडिया के लिए प्रायोरिटी है. पिछले 5 सालों में, हमने पहले ही वैरिएंट के बेस पर चीनी को 30 फीसदी प्रतिशत कम कर दिया है. हम नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करते हैं और न्यूट्रिशन, क्वालिटी, सेफ्टी और स्वाद से समझौता किए बिना, शुगर के लेवल को कम करने के लिए अपने प्रोडक्ट्स में इनोवेशन में सुधार जारी रखते हैं.

कर रहे हैं प्रयास

आधिकारिक सूत्रों ने बेबी मिल्क पाउडर में चीनी के प्रतिशत को कम करने के महत्व को दोहराया और बेहतर मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेस को बढ़ावा देने के लिए चल रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला. सूत्रों ने कहा कि हम हमेशा चीनी के प्रतिशत को कम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. हम बेहतर मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेस के लिए व्यापार संघों के साथ राज्य संपर्क और बातचीत कार्यक्रम भी चलाते हैं. चिंताओं पर प्रतिक्रिया देते हुए, नेस्ले ने अपने इंफैंट सीरियल्स प्रोडक्ट्स की न्यूट्रिशनल क्वालिटी इंश्योर करने की प्रायोरिटी पर जोर दिया.

नेस्ले पर सवाल

नेस्ले ने कहा, हम अपने प्रोडक्ट्स की न्यूट्रिशनल संबंधी प्रोफाइल को बढ़ाने के लिए अपने आरएंडडी नेटवर्क का लगातार लाभ उठाते हैं. हालांकि, स्विस एनजीओ पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (आईबीएफएएन) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में भारत के साथ-साथ अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों में बेचे जाने वाले नेस्ले के बेबी फूड प्रोडक्ट्स के बारे में चिंता जताई गई है, जिनमें बेचे जाने वाले उत्पादों की तुलना में चीनी की मात्रा अधिक है.

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