Watermelon adulteration : कहीं आप भी तो नहीं खा रहे इंजेक्शन वाला तरबूज? ऐसे करें पहचान

 कहीं आप भी तो नहीं खा रहे इंजेक्शन वाला तरबूज? ऐसे करें पहचान-

गर्मियों के मौसम में तरबूज कि खपत बढ़ जाती है. ये शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है. स्वाद में भी तरबूज अच्छा होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं की तरबूज में भी मिलावट की जाती है. इसमें इंजेक्शन लगाया जाता है ताकि तरबूज का रंग अंंदर से लाल हो जाए. तरबूज को लाल करने के लिए एक केमिकल मिलाया जाता है. आइए इसके बारे में जानते हैंं.

Watermelon adulteration : कहीं आप भी तो नहीं खा रहे इंजेक्शन वाला तरबूज? ऐसे करें पहचान
गर्मियों का मौसम है और लोग इस दौरान तरबूज़ बड़े चाव से खाते हैं. तरबूज़ स्वाद में अच्छा होता है और साथ ही शरीर में पानी की कमी को भी पूरी करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं की तरबूज़ को लाल करने के लिए इसमें केमिकल मिलाया जाता है. ये केमिकल तरबूज़ को अंदर से लाल कर देता है. आसानी से इसकी पहचान भी नहीं हो पाती है.
रबूज़ को लाल करने के लिए जो केमिकल मिलाया जाता है उसको एरिथ्रोसिन कहते हैं. एरिथ्रोसिन एक तरह का केमिकल कंपाउंड है. यूरोपीय खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण (EFSA) के मुताबिक़ एरिथ्रोसिन को E127 कहा जाता है .इसका यूज केवल कुछ कॉकटेल और सिरप में ही किया जाना चाहिए. लेकिन भारत में तरबूज़ को लाल रंग देने के लिए एरिथ्रोसिन को मिला दिया जाता है. एरिथ्रोसिन शरीर को कई तरीक़े से नुक़सान कर सकता है. आइए इसके बारे में एक्सपर्ट्स से जानते हैं.

एरिथ्रोसिन कैसे करता है शरीर को नुक़सान

दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल में डॉ. अंकित कुमार ने इस बारे में बताया है. डॉ. कुमार के मुताबिक़, एरिथ्रोसिन एक केमिकल है जिसका रंग गुलाबी होता है और इसको कई तरीक़ों से यूज किया जाता है. कुछ सिरप में रंग देने के लिए इसको इस्तेमाल में लाया जाता है. लेकिन देखा जाता है कि इसका यूज तरबूज़ को लाल रखने में भी होता है. इंजेक्शन के ज़रिये इसको तरबूज़ में डाला जाता है. इससे अंदर से कच्चे तरबूज़ का रंग भी लाल होने लगता है.

एरिथ्रोसिन अगर ज़्यादा मात्रा में शरीर में जाता है तो इससे शरीर को नुक़सान हो सकता है. चूहों पर हुई कुछ रिसर्च में ये भी पता चला है कि एरिथ्रोसिन में कार्सिनोजेनिक कंपोनेट होते है. यानी ये कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है. हालाँकि इंसानों में इसके कैंसर के प्रभाव को लेकर रिसर्च नहीं है. फिर भी इससे बचने की ज़रूरत है. क्योंकि इस तरह की मिलावट वाला तरबूज़ पेट की ख़राबी और उल्टी दस्त का कारण बन सकता है.

जल्दी खराब हो जाते हैं मिलावटी तरबूज़

केमिकल वाले तरबूज़ जल्दी खराब हो सकते हैं, जिससे उनमें फंगस बढ़ने का ख़तरा रहता है. लेकिन लोग ये समझ पाते और इस तरह के तरबूज़ खा लेते हैं. इससे फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है. इस वजह से उल्टी- दस्त, कब्ज की समस्या और पेट में इंफेक्शन भी हो सकता है.

कैसे पता करें तरबूज़ में है रंग मिला हुआ है

जब आप तरबूज़ ख़रीदने जाए तो पहले उसकी एक फाँक कटवा लें और इसके ऊपर कॉटन को रगड़ लें. अगर कॉटन पर लाल या गुलाबी रंग आ गया है तो इसका मतलब है कि उसमे केमिकल मिला हुआ है, लेकिन अगर रंग नहीं आया है तो तरबूज में मिलावट नहीं है

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