MP LS Election Results: मप्र में एक फीसदी वोट बढ़ाकर BJP ने किया क्लीन स्वीप, कांग्रेस के वोट ढाई प्रतिशत घटे

MP LS Election Results: मप्र में एक फीसदी वोट बढ़ाकर BJP ने किया क्लीन स्वीप, कांग्रेस के वोट ढाई प्रतिशत घटे

MP LS Election Results: मप्र में एक फीसदी वोट बढ़ाकर BJP ने किया क्लीन स्वीप, कांग्रेस के वोट ढाई प्रतिशत घटे

मध्य प्रदेश में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में क्लीन स्वीप किया और 29 में से 29 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा ने प्रदेश की 29 सीटों पर करीब 59.5 प्रतिशत वोट हासिल किए। यह 2019 के 58.5 प्रतिशत के मुकाबले सिर्फ एक प्रतिशत ज्यादा रहा। कांग्रेस की बात करें तो 2019 के 34.8 प्रतिशत के मुकाबले 32.19 प्रतिशत वोट ही हासिल किए। यह करीब-करीब ढाई प्रतिशत की कमी बताता है। यह बात अलग है कि इंदौर में कांग्रेस के उम्मीदवार ने नाम वापस ले लिया था। वहीं, खजुराहो सीट को कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन में समाजवादी पार्टी के लिए छोड़ा था।

मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत में पन्ना समिति की भूमिका अहम रही। खासकर तीसरे और चौथे चरण के मतदान के दौरान मतदाताओं को घर से बाहर निकालकर मतदान केंद्रों तक ले जाने की रणनीति को सफलता मिली थी। इसी का नतीजा है कि भाजपा ने ग्वालियर-चंबल अंचल की मुश्किल सीटों पर भी जीत हासिल की। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कई स्तरों पर रणनीति रची गई थी। पहला तो कांग्रेस को कमजोर करना था। इसके लिए उन नेताओं की तलाश शुरू हुई, जो भाजपा में आ सकते हैं। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आमंत्रण ठुकराकर कांग्रेस ने यह मौका भी दे दिया। कांग्रेस के छोटे-बड़े करीब चार लाख कार्यकर्ता भाजपा से जुड़े। इससे जमीनी स्तर पर कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं का टोटा हो गया। प्रदेश के कई मतदान केंद्रों पर तो कांग्रेस की टेबल तक नहीं लगी। इससे भाजपा के पक्ष में माहौल बना।

मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत में पन्ना समिति की भूमिका अहम रही। खासकर तीसरे और चौथे चरण के मतदान के दौरान मतदाताओं को घर से बाहर निकालकर मतदान केंद्रों तक ले जाने की रणनीति को सफलता मिली थी। इसी का नतीजा है कि भाजपा ने ग्वालियर-चंबल अंचल की मुश्किल सीटों पर भी जीत हासिल की। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कई स्तरों पर रणनीति रची गई थी। पहला तो कांग्रेस को कमजोर करना था। इसके लिए उन नेताओं की तलाश शुरू हुई, जो भाजपा में आ सकते हैं। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आमंत्रण ठुकराकर कांग्रेस ने यह मौका भी दे दिया। कांग्रेस के छोटे-बड़े करीब चार लाख कार्यकर्ता भाजपा से जुड़े। इससे जमीनी स्तर पर कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं का टोटा हो गया। प्रदेश के कई मतदान केंद्रों पर तो कांग्रेस की टेबल तक नहीं लगी। इससे भाजपा के पक्ष में माहौल बना।

विधानसभा से बढ़ गया वोट प्रतिशत
मध्य प्रदेश में करीब छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को 48.55 प्रतिशत मत मिले थे और कांग्रेस को 40.40 प्रतिशत। इसके मुकाबले लोकसभा चुनावों में भाजपा के वोट करीब 11 प्रतिशत अधिक है। यह पहली बार नहीं हुआ है। 1984 के बाद से जब भी प्रदेश में विधानसभा चुनावों के बाद लोकसभा चुनाव हुए, भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है। 2018 के विधानसभा चुनावों में 41.02 प्रतिशत वोट भाजपा को मिले थे, जबकि उसके बाद 2019 लोकसभा चुनावों में करीब 58.5 प्रतिशत वोट उसे मिले थे।

राम मंदिर आंदोलन के साथ बढ़ी भाजपा की ताकत
1980 में भाजपा की स्थापना हुई और 1984 का लोकसभा चुनाव पार्टी का राज्य में पहला बड़ा चुनाव था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में कांग्रेस ने 57.1 प्रतिशत वोट के साथ राज्य की सभी 40 में से 40 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा को तब 30 प्रतिशत वोट मिले थे। इसके बाद के पांच साल में जैसे-जैसे राम मंदिर आंदोलन ने गति पकड़ी, भाजपा को आधार मिलता गया। भाजपा ने 1989 में 39.7 प्रतिशत वोट के साथ 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस को 37.7 प्रतिशत वोट के साथ सिर्फ आठ सीटें मिली थीं। 1991 में कांग्रेस ने दिल्ली की कुर्सी पर वापसी की, लेकिन भाजपा का वोट नहीं घटा। कांग्रेस ने 45.3 प्रतिशत वोट के साथ 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़कर 41.9 प्रतिशत हुआ था। उसे 12 सीटों पर ही जीत मिली थी। 1996 में 41.3 प्रतिशत वोट के साथ 27 सीटें, 1998 में 45.7 प्रतिशत वोट के साथ 30 सीटें और 1999 में भाजपा ने 46.6 प्रतिशत वोट के साथ 29 सीटों पर जीत हासिल की थी।

विभाजन के बाद भी बढ़ता गया वोट प्रतिशत
वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश का विभाजन हुआ। 11 लोकसभा सीटें छत्तीसगढ़ में चली गईं। विभाजित मध्य प्रदेश का पहला लोकसभा चुनाव 2004 में हुआ और भाजपा ने 48.1 प्रतिशत वोट के साथ 25 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस को 34.1 प्रतिशत वोट के साथ चार सीटें मिली थीं। 2009 में कांग्रेस ने वापसी की थी। कांग्रेस के युवा नेताओं ने भाजपा के स्थापित नेताओं को मात देकर 29 में से 12 सीटों पर जीत हासिल की थी। उसे 40.1 प्रतिशत वोट मिले थे। भाजपा को 43.4 प्रतिशत वोट मिले थे और उसने 16 सीटें हासिल की थी।

मोदी लहर में बढ़ता गया वोट प्रतिशत
2014 में मोदी लहर ऐसी चली कि भाजपा ने 29 में से 27 सीटों पर जीत हासिल की। सिर्फ गुना (ज्योतिरादित्य सिंधिया) और छिंदवाड़ा (कमलनाथ) में ही कांग्रेस को जीत मिली। भाजपा को 54.8 प्रतिशत वोट मिले थे और कांग्रेस को सिर्फ 35.4 प्रतिशत। 2019 में तो लहर और बड़ी हो गई। भाजपा को मिले 58.5 प्रतिशत वोट और 28 सीटें। इस बार गुना में सिंधिया को उनके करीबी रहे केपी यादव ने धूल चटाई थी। छिंदवाड़ा जरूर कांग्रेस का अभेद्य किला बना रहा। कांग्रेस का वोट प्रतिशत 34.8 प्रतिशत रहा था। अब 2024 में भाजपा ने वोट प्रतिशत को और बढ़ाकर करीब 59.5 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं। सिंधिया भाजपा के टिकट पर थे, इस वजह से गुना में आसानी से जीते। छिंदवाड़ा में जरूर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।

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